आद्रा नक्षत्र में क्यों बनती है दाल पूड़ी और खीर, …जानिए

आज 22 जून को आर्द्रा नक्षत्र का आगमन हो चुका है, जो इस वर्ष 6 जुलाई (रविवार) तक रहेगा। इस नक्षत्र का हिंदू धर्म, भारतीय संस्कृति और परंपराओं में विशेष स्थान है। खासकर बिहार और पूर्वी भारत में यह समय न केवल धार्मिक पूजन का है, बल्कि परंपरागत व्यंजनों — दाल भरकर पूड़ी, खीर और आम — के स्वाद से भी जुड़ा है।

आकाश मंडल के 27 नक्षत्रों में आर्द्रा छठा नक्षत्र है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है — “नमी”। यह धरती के लिए जीवनदायिनी वर्षा का प्रतीक है। इसका उदय जून के तीसरे सप्ताह में होता है, जब उर्जा और प्रकाश देने वाले सूर्य इस नक्षत्र में प्रवेश करते हैं (आमतौर पर 21–22 जून)। यही समय मानसून के आगमन का भी होता है।

आर्द्रा नक्षत्र से ही वर्षा ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। इस समय देश के अधिकांश हिस्सों में कृषि कार्यों का शुभारंभ होता है। बिहार और पूर्वी भारत में रोहिणी नक्षत्र में बोए गए धान के बिचड़े को बड़ा करने के लिए लगातार बारिश जरूरी होती है, और आर्द्रा इसका द्वार खोलता है।

बिहार में आर्द्रा नक्षत्र के आगमन पर हर घर में एक विशेष भोजन — दाल भरकर पूड़ी और चावल की खीर — बनाया जाता है। यह परंपरा सैकड़ों साल से अनवरत जारी है सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि देव पूजन, ऋतु संतुलन और शरीर की शुद्धि के लिए भी होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन वर्षा के देवता इंद्र और अधिदेवता रुद्र (भगवान शिव के उग्र रूप) को यह भोग अर्पित किया जाता है, ताकि वर्षा निरंतर बनी रहे।

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🕉️ धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

  • आर्द्रा नक्षत्र के अधिदेवता रुद्र हैं। रुद्र का पूजन इस दिन मानसिक शांति, रोग नाश और आत्मिक विकास के लिए किया जाता है।
  • वैदिक शास्त्रों में इस दिन सात्विक भोजन और व्रत को विशेष महत्व दिया गया है।

👪 लोक मान्यताएं और सामाजिक आस्था

  • खासकर बिहार में मान्यता है कि इस दिन की वर्षा प्रकृति की उर्जा को जागृत करती है।
  • महिलाएं घर में यह परंपरागत थाली बनाकर भगवान शिव को भोग लगाती हैं और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
  • यह एक पारिवारिक उत्सव जैसा होता है जिसमें पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरा का सम्मान होता है।

🪔 संस्कृति, श्रद्धा और स्वास्थ्य का संगम

आर्द्रा नक्षत्र की पारंपरिक थाली — दाल-पूड़ी, खीर और आम — सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, श्रद्धा और स्वास्थ्य का संगम है। यह न केवल स्वादिष्ट है बल्कि ऋतु परिवर्तन के समय शरीर को संतुलन में रखने वाला सात्विक भोजन भी है।