इतिहास के पन्नों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाला बिहार अपनी समृद्ध संस्कृति और मेहमाननवाजी के लिए तो जाना ही जाता है, लेकिन यहाँ के खानपान का भी कोई जवाब नहीं। यह वो धरती है जहाँ के व्यंजनों में न सिर्फ मसालों का जादू है, बल्कि यहाँ की मिट्टी की सोंधी महक भी महसूस होती है। स्वाद का यह अनोखा संगम इतना खास है कि बिहार के कई पारंपरिक व्यंजन आज विदेशों तक में लोकप्रिय हो चुके हैं।
तो चलिए, आपको बिहार के कुछ ऐसे ही लजीज व्यंजनों की सैर पर ले चलते हैं, जिनका स्वाद चखकर आप अपनी उंगलियां चाटते रह जाएंगे।

लिट्टी-चोखा: बिहार की शान, जिसका स्वाद है लाजवाब
बिहार का नाम लेते ही जिस व्यंजन का स्वाद ज़ुबान पर सबसे पहले आता है, वह है लिट्टी-चोखा। यह सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि बिहार की पहचान है। इसमें गेहूँ के आटे की गोल लोइयों के अंदर भुने चने से बने चटपटे सत्तू को भरा जाता है। फिर इन लोइयों को कोयले या उपलों की धीमी आंच पर सेंका जाता है, जिससे इसमें एक सोंधी खुशबू बस जाती है। आखिर में, इस कुरकुरी लिट्टी को शुद्ध घी में डुबोकर परोसा जाता है।
इसका साथ निभाने के लिए होता है मसालेदार चोखा, जिसे भुने हुए बैंगन, टमाटर और उबले आलू को मसलकर तैयार किया जाता है। इसमें कटा हुआ प्याज, लहसुन, और सरसों के तेल का तीखापन एक ऐसा जादू घोलता है कि खाने वाला अपनी उंगलियां चाटते रह जाता है। आज यह देसी स्वाद देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बिहारी संस्कृति का प्रतीक बन चुका है।

ठेकुआ: छठ पूजा की शान और बिहार का पारंपरिक स्वाद
जब बिहार के सबसे खास पकवानों की बात होती है, तो ठेकुआ का नाम सबसे पहले आता है। यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और विशेषकर महापर्व छठ पूजा का एक अभिन्न प्रसाद है। गेहूँ के आटे, गुड़ और घी के मिश्रण से तैयार इस पारंपरिक व्यंजन को घी में डीप-फ्राई किया जाता है, जिससे इसका बाहरी हिस्सा कुरकुरा और अंदर का हिस्सा खस्ता बनता है।
कई जगहों पर इसे ‘खजुरिया’ के नाम से भी जाना जाता है। स्वाद में बदलाव के लिए कभी-कभी गेहूँ के आटे की जगह चावल के आटे और गुड़ की जगह चीनी का भी इस्तेमाल किया जाता है। ठेकुआ के हर निवाले में आपको बिहार की मिट्टी का प्यार और परंपराओं की मिठास का अनुभव होगा।

मालपुआ: चाशनी में डूबा मुलायम स्वाद
मालपुआ बिहार का वह मीठा व्यंजन है जिसे किसी परिचय की ज़रूरत नहीं। मैदे, दूध, और मसले हुए केले के घोल से तैयार किए गए इस पकवान को घी में तला जाता है और फिर चीनी की मीठी चाशनी में डुबोया जाता है। इसका बाहरी किनारा कुरकुरा और बीच का हिस्सा मुलायम होता है जो मुँह में जाते ही घुल जाता है। होली और दिवाली जैसे त्योहारों पर इसे अक्सर गाढ़ी रबड़ी के साथ परोसा जाता है, जो इसके स्वाद को दोगुना कर देता है।

खाजा: 2000 साल पुरानी परतदार मिठाई
अगर आप मिठाई के शौकीन हैं तो नालंदा और राजगीर के बीच एक कस्बा है सिलाव वहां का प्रसिद्ध खाजा आपके दिल को छू लेगा। माना जाता है कि यह 2000 साल पुरानी मिठाई है, जो ऑटोमन साम्राज्य के ‘बकलावा’ से मिलती-जुलती है। मैदे और चीनी से बनी इस परतदार मिठाई को जब घी में तला जाता है, तो यह बेहद कुरकुरी और हल्की हो जाती है। शादी-ब्याह और ईद जैसे शुभ अवसरों पर इसकी मिठास रिश्तों में और भी रंग घोल देती है।

दाल पीठा: बिहार के देसी ‘मोमोज’
यह बिहार का अपना ‘मोमोज’ या ‘डंपलिंग’ है। चावल के आटे के नरम खोल के अंदर मसालेदार चने की दाल का मिश्रण भरा जाता है और फिर इसे भाप में पकाया (या तला) जाता है। यह एक बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक नाश्ता है, जो बिहार की पाक कला का एक बेहतरीन उदाहरण है।

परवल की मिठाई: जब सब्जी बन जाए लाजवाब मिठाई
यह मिठाई बिहारियों की रचनात्मकता का प्रतीक है। कौन सोच सकता है कि परवल जैसी सब्जी से इतनी स्वादिष्ट मिठाई बन सकती है! परवल को उबालकर, उसके अंदर मीठा खोया भरा जाता है और फिर इसे चाशनी में डुबोया जाता है। इसका अनोखा स्वाद और शानदार प्रस्तुति इसे खास बनाती है।

बालूशाही: जो मैदे की नहीं, छेना की है
बालूशाही का नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है, लेकिन बिहार की बालूशाही सबसे अलग है। जहाँ देश भर में यह मैदे से बनती है, वहीं सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर की प्रसिद्ध बालूशाही छेना से तैयार की जाती है। इसका स्वाद इतना लाजवाब होता है कि यह मुँह में रखते ही घुल जाती है और लोग इसे खाने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

चंद्रकला/पिड़किया: खोये/सूजी और मेवों का खजाना
गुजिया की तरह दिखने वाली यह मिठाई त्योहारों की शान है। इसका नाम इसकी बनावट की तरह ही खूबसूरत है। मैदे की कुरकुरी परत के अंदर जब मीठे खोये/सूजी, नारियल और सूखे मेवों की भराई की जाती है और फिर इसे चाशनी में डुबोया जाता है, तो चंद्रकला का बेमिसाल स्वाद तैयार होता है जो लंबे समय तक याद रहता है।

चना घुघनी: हर घर का पसंदीदा नाश्ता
चना घुघनी बिहार का सबसे आम लेकिन उतना ही स्वादिष्ट नाश्ता है। उबले हुए चने को प्याज और मसालों के साथ भूनकर तैयार की गई यह डिश स्वाद और सेहत का बेहतरीन मेल है। इसे सुबह के नाश्ते में या शाम को “चूड़ा का भूजा” (चिवड़ा) के साथ खाया जाता है। यह सादा सा व्यंजन बिहार के दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा है।

सत्तू का पराठा: स्वाद और ऊर्जा से भरपूर
बिहार के खानपान का जिक्र सत्तू के बिना अधूरा है। भुने चने से बना सत्तू प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत है। जब इस सत्तू में प्याज, मसाले और सरसों का तेल मिलाकर आटे की लोइयों में भरा जाता है और पराठा बनाया जाता है, तो यह स्वाद और सेहत से भरपूर एक लाजवाब व्यंजन बन जाता है। इसे अक्सर दही या अचार के साथ परोसा जाता है।

बिहार का सुपरफूड: सत्तू
सत्तू सिर्फ पराठे में ही नहीं, बल्कि बिहार का एक लोकप्रिय पेय भी है। गर्मी के दिनों में ठंडे पानी में सत्तू, नमक, प्याज और नींबू घोलकर बनाया गया सत्तू का शरबत तुरंत ऊर्जा देता है और अपने आप में एक संपूर्ण आहार है। इसकी पौष्टिकता और बहुमुखी प्रतिभा के कारण इसे बिहार का ‘सुपरफूड’ कहना गलत नहीं होगा।

नैवेद्यम: पटना हनुमान मंदिर का दिव्य प्रसाद
पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर का यह प्रसाद किसी पहचान का मोहताज नहीं। मूल रूप से तिरुपति बालाजी मंदिर से प्रेरित नैवेद्यम, बेसन, चीनी, काजू, किशमिश, केसर और शुद्ध घी से बनी एक मुलायम लड्डू है। इसका स्वाद इतना दिव्य है कि यह मुंह में रखते ही घुल जाता है और एक अनोखी अनुभूति देता है।

लौंग-लतिका: लौंग के तीखेपन में लिपटी मिठास
यह एक पारंपरिक मिठाई है जो त्योहारों की शान है। मैदे की परत के अंदर मीठे खोये की भराई होती है, जिसे एक लौंग से बंद करके तला जाता है और फिर चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है। खोये की मिठास और लौंग का हल्का तीखापन मिलकर एक ऐसा संतुलन बनाते हैं, जो इसे बाकी मिठाइयों से अलग करता है।

तिलकुट: गया की सर्दियों वाली खास मिठाई
सर्दियों और मकर संक्रांति के आते ही बिहार, खासकर गया शहर, तिलकुट की खुशबू से महक उठता है। कूटे हुए तिल और गुड़ या चीनी को मिलाकर इसे बिस्किट जैसा कुरकुरा आकार दिया जाता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी होता है।

रसिया: छठ पूजा का पारंपरिक खीर
यह छठ पूजा के महापर्व पर बनने वाली एक खास तरह की खीर है। इसे आमतौर पर गुड़ के साथ बनाया जाता है, जो इसे एक अनूठा स्वाद और सुनहरा रंग देता है। यह पारंपरिक खीर बिहार के उत्सवों और परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई है।

खुरमा: भोजपुर का रसीला खजाना
आमतौर पर खुरमा मैदे से बनता है, लेकिन बिहार के भोजपुर का यह खास खुरमा अपनी अलग पहचान रखता है क्योंकि यह छेना से तैयार किया जाता है। भोजपुर के उदवंतनगर की यह मशहूर मिठाई, छेना के बड़े-बड़े टुकड़ों को चीनी की चाशनी में घंटों तक धीमी आंच पर पकाकर बनाई जाती है। धीरे-धीरे पकने से छेना चाशनी में डूबकर हल्का लाल-भूरा और स्पंजी हो जाता है। ठंडा होने के बाद, यह एक बेहद रसीली और मुंह में घुल जाने वाली मिठाई बनती है, जिसमें दूध का स्वाद और चाशनी की मिठास घुली होती है। यह खास मिठाई त्योहारों और शुभ अवसरों पर बहुत पसंद की जाती है।

पंतुआ (काला जामुन): बिहार का अपना गुलाब जामुन
यह बिहार में मशहूर काला जामुन का ही एक रूप है। मावा, चीनी और दूध से बने पंतुआ आकार में थोड़े लंबे होते हैं और इनका बाहरी हिस्सा हल्का सख्त होता है, जो इसे एक अनूठा स्वाद देता है।

गुड़ अनरसा: तिल में लिपटा खास स्वाद
चावल के आटे और गुड़ के मिश्रण से बनी यह मिठाई बाहर से तिल की वजह से कुरकुरी और अंदर से नरम होती है। इसे घी में तलकर सुनहरा किया जाता है और इसका स्वाद लाजवाब होता है।

लाई: गुड़ में बंधा बचपन का स्वाद
मुरमुरे (puffed rice), चूड़ा (flattened rice) या रामदाना को गर्म गुड़ की चाशनी के साथ मिलाकर बड़े-बड़े लड्डू बनाए जाते हैं। यह बिहार का एक बहुत ही सरल, स्वादिष्ट और पारंपरिक नाश्ता है, जिसे लाई कहते हैं।

मखाना खीर: सेहत और स्वाद का संगम
बिहार की धरती से निकला मखाना (Fox Nut) जब दूध में मिलता है, तो एक शाही और सेहतमंद खीर तैयार होती है। मखाना खीर बिहार की एक पारंपरिक मिठाई है, जिसमें हल्के भुने हुए मखानों को गाढ़े दूध, चीनी और मेवों के साथ पकाया जाता है। मखाने दूध में पककर नरम हो जाते हैं, जिससे खीर का हर चम्मच मलाईदार और दानेदार लगता है। इलायची और केसर की महक इसे और भी लाजवाब बना देती है। यह स्वाद में हल्की मीठी और पोषक तत्वों से भरपूर होती है।

चंपारण मीट: मिट्टी की हांडी का जादुई स्वाद
चंपारण मीट, जिसे ‘अहुना मटन’ भी कहा जाता है, सिर्फ एक डिश नहीं, बल्कि खाना पकाने की एक पूरी कला है। इसमें मटन को सरसों के तेल, खड़े मसाले, प्याज, लहसुन और अदरक के साथ एक मिट्टी की हांडी (मटकी) में मिलाया जाता है। हांडी को आटे से सील करके धीमी आंच पर घंटों तक पकाया जाता है। इस प्रक्रिया से मटन अपने ही जूस में पकता है, जिससे यह अविश्वसनीय रूप से नरम और रसदार हो जाता है। मसालों की सोंधी खुशबू और मिट्टी का स्वाद इसे बिहार का सबसे प्रसिद्ध मीट व्यंजन बनाता है।

बिहारी कबाब: मुलायम और धुएँ के स्वाद वाला
लखनऊ और हैदराबाद के कबाबों से अलग, बिहारी कबाब का अपना एक अनूठा चरित्र है। इन कबाबों की खासियत इनके मैरिनेशन में छिपी है, जिसमें मांस को गलाने के लिए कच्चे पपीते का पेस्ट और भुनी हुई प्याज, दही और गरम मसालों का इस्तेमाल होता है। इस मैरिनेशन की वजह से कबाब बेहद नरम हो जाते हैं। इन्हें सीखों पर पिरोकर कोयले की आग पर सेका जाता है, जिससे इसमें एक लाजवाब धुएँ का स्वाद (smoky flavor) आता है। इसे अक्सर पराठे या रोटी के साथ परोसा जाता है।

केसर पेड़ा: खोये की शाही मिठास
केसर पेड़ा बिहार की एक क्लासिक मिठाई है, जो शुद्ध खोये (मावा), चीनी, इलायची और केसर से बनाई जाती है। इसे बनाने की प्रक्रिया सरल है लेकिन स्वाद में यह बेहद शाही होता है। दूध से बने गाढ़े खोये को केसर और चीनी के साथ तब तक भूना जाता है जब तक कि यह एक सुनहरा रंग न ले ले। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है और केसर की मनमोहक खुशबू इसे खास बनाती है। यह मिठाई मुंह में रखते ही घुल जाती है और त्योहारों तथा शुभ अवसरों पर खूब पसंद की जाती है।
बिहार के इन खास व्यंजनों और मिठाइयों की यह लंबी सूची तो बस एक झलक है। लेकिन किसी भी जगह की असली पाक पहचान वहां के लोगों की रोज़मर्रा की थाली में बसती है। तो चलिए, अब बिहार के उस असली स्वाद से रूबरू होते हैं जो हर घर की रसोई में पकता है और करोड़ों लोगों का पेट और मन भरता है।
घर का सादा भोजन – बिहार की आत्मा
बिहार की असली पाक आत्मा उसके सादे, पौष्टिक और रोज़ाना खाए जाने वाले भोजन में बसती है। यह वो घर का खाना है जो हर बिहारी के लिए आराम और अपनेपन का एहसास है।

दाल-भात और भुजिया/चोखा
बिहार का कम्फर्ट फूड यह बिहार का सबसे प्रमुख और रोज़ खाया जाने वाला भोजन है। लगभग हर दोपहर के खाने में आपको यह ज़रूर मिलेगा।
- दाल-भात: गरमागरम भात (चावल) के ऊपर अरहर या मसूर की पतली, हल्की मसालेदार दाल।
- आलू भुजिया: साथ में परोसी जाती है कुरकुरी आलू भुजिया।
- आलू चोखा: भुजिया की जगह कभी-कभी आलू चोखा होता है, जिसमें उबले हुए आलू को कच्ची सरसों के तेल, प्याज, और हरी मिर्च के साथ मैश किया जाता है।

खिचड़ी और उसके ‘चार यार’
बिहार के कई घरों में शनिवार का दिन खिचड़ी का दिन होता है। चावल और दाल को मिलाकर बनाई गई यह सेहतमंद डिश अपने चार साथियों के साथ खाई जाती है, जिन्हें “खिचड़ी के चार यार” कहा जाता है: दही, पापड़, घी और अचार।

दही-चूड़ा: झटपट तैयार होने वाला नाश्ता
यह बिहार का सबसे लोकप्रिय नाश्ता है। चूड़ा (पोहा) को दही के साथ मिलाया जाता है। इसे मीठे के लिए चीनी या गुड़ डालकर, या नमकीन के लिए नमक और हरी मिर्च मिलाकर खाया जाता है।

कढ़ी-बड़ी और चावल
जिस दिन खाने में दाल नहीं होती, उस दिन अक्सर कढ़ी-बड़ी बनती है। बेसन की नरम बड़ियों को दही की खट्टी कढ़ी में डुबोकर बनाया गया यह व्यंजन चावल के साथ खाया जाता है।
बिहार का भोजन सिर्फ मसालों और सामग्री का मेल नहीं है; यह एक ऐसा निमंत्रण है जो आपको इस धरती की आत्मा से जोड़ता है। हर निवाले में आपको यहाँ की मेहमाननवाजी की मिठास और परंपराओं की गहरी जड़ें महसूस होंगी। यह एक ऐसा स्वाद है, जिसे एक बार चखने के बाद आप कभी भूल नहीं पाएंगे।
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