इतने स्टेशनों पर पोस्टर से नहीं अब यात्रियों को  TV स्क्रीन पर मिलेगी ट्रेनों की जानकारी, …जानिए

बिहार के मुजफ्फरपुर जंक्शन सहित सोनपुर रेलमंडल के छोटे-बड़े 96 रेलवे स्टेशनों को डिजिटल इंडिया के तहत डेवलप करने का काम तेजी पर है। स्टेशनों पर पोस्टर की जगह अब हाई-डेफिनिशन (एचडी) टीवी लगाए जाएंगे। इस पहल से न केवल रेलवे के राजस्व में करोड़ों की वृद्धि होगी, बल्कि यात्रियों को भी ट्रेनों की जानकारी प्राप्त करने में बड़ी सुविधा मिलेगी। यह कदम डीआरएम अमित शरण की पहल पर सीनियर डीसीएम रौशन द्वारा लिया गया है, जिसका उद्देश्य यात्रियों को सूचना देने की व्यवस्था को पूरी तरह अत्याधुनिक बनाना व रेलवे के खर्च की बचत कर आय का स्रोत बनाना।

मुजफ्फरपुर जंक्शन पर लगेंगे 65 एचडी टीवी
इस योजना के तहत अकेले मुजफ्फरपुर जंक्शन के प्लेटफॉर्म संख्या एक से आठ तक, सभी वेटिंग हॉल, यूटीएस और पीआरएस काउंटरों पर 56 और 66 इंच के कुल 65 एचडी टीवी लगाए जाएंगे। इन स्क्रीनों पर यात्रियों को ट्रेनों के आगमन-प्रस्थान और प्लेटफॉर्म नंबर सहित सभी आवश्यक जानकारियां मिल जाएंगी।

हर 5 मिनट में अपडेट और विज्ञापन से आय
सीनियर डीसीएम ने बताया कि इन स्क्रीनों पर मुजफ्फरपुर से गुजरने वाली ट्रेनों की जानकारी हर पांच मिनट पर अपडेट होती रहेगी। इसके साथ ही, मनोरंजन और राजस्व के लिए दो मिनट का विज्ञापन भी प्रसारित किया जाएगा।

खर्च को कमाई में बदलने का मॉडल
पूर्व मध्य रेल सहित देश के 17 रेलवे जोनों को स्टेशनों पर पोस्टर और टाइम-टेबल पर सालाना 80 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करना पड़ता है। अकेले सोनपुर रेलमंडल ही इन पोस्टरों पर प्रतिवर्ष 25 लाख रुपये से अधिक खर्च कर रहा था। परन्तु अब काफी विचार-विमर्श के बाद, सीनियर डीसीएम सोनपुर ने इस खर्च को आय के स्रोत में बदल दिया है। इस काम को ई-टेंडर के माध्यम से एक एजेंसी को ठेके पर दिया गया है, जिससे रेलवे को अब करोड़ों का राजस्व प्राप्त होगा। इस नए मॉडल से अब तक मुजफ्फरपुर जंक्शन को तीन लाख रुपये से अधिक की आय हुई है, जबकि पूरे सोनपुर मंडल को एक करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिला है।

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रेलवे को होने वाले प्रमुख लाभ:

  • मुद्रण एवं रखरखाव पर होने वाला खर्च शून्य हो जाएगा।
  • रेलवे स्टेशनों के सौंदर्य में वृद्धि होगी।
  • यात्रियों को बेहतर अनुभव के लिए गतिशील सूचना प्रबंधन मिलेगा।
  • आउटसोर्सिंग से अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।

अगर सोनपुर रेलमंडल का यह सफल मॉडल देश के अन्य रेलवे जोनों में भी लागू किया जाता है, तो यह एक नजीर बन सकता है, जिससे रेलवे का सालाना खर्च बचेगा और राजस्व में भारी वृद्धि होगी।